मंदिर के बारे में

मंदिर के बारे में

ओडिशा राज्य के केंद्रपाड़ा जिले में स्थित इस्कॉन पट्टामुंडई, गदाईगिरी में स्थित श्री श्री राधा गोपाल जीउ मंदिर का एक विस्तारित प्रचार केंद्र है। यह मूल रूप से जगतात्मा प्रभु द्वारा सन 2010 में एक छोटे से प्रचार केंद्र के रूप में शुरू किया गया था। जगतात्मा प्रभु कुछ वर्षों तक अकेले ही केंद्र के विभिन्न कार्यक्रमों का प्रबंधन करते रहे। किंतु कुछ गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के कारण तथा क्षेत्रीय प्रबंधन के अनुरोध पर उन्हें यह केंद्र छोड़ना पड़ा।

इसके पश्चात परम पूज्य हलधर स्वामी महाराज, जो श्री श्रीमद् गौर गोविंद स्वामी महाराज के प्रमुख शिष्यों में से एक और जीबीसी द्वारा अनुमोदित आध्यात्मिक गुरु हैं, ने इस छोटे से केंद्र के संचालन को अपने हाथों में लिया। महाराज के निर्देशन में यह केंद्र अब एक अद्भुत कृष्ण-भावनामृत केंद्र में परिवर्तित हो गया है। थोड़े ही अन्तराल में यहाँ सबसे सुंदर विग्रह, भक्तों का समुदाय और एक गौशाला स्थापित हो गई है।

इस केंद्र की स्थापना लोगों को प्राचीन वैष्णव संस्कृति, आत्मनिर्भरता, जैविक खेती, गौ संरक्षण और सबसे महत्त्वपूर्ण, ईश्वर-केंद्रित जीवन शैली के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से परम पूज्य हलधर स्वामी महाराज के मार्गदर्शन में किया गया है।

महाराज ने आरंभिक दिनों में कोई विग्रह स्थापित नहीं किए थे क्योंकि उनके मन में था कि अगर किसी पूर्ववर्ती आचार्य के विग्रह यहाँ स्वतः आ जाएँगे, तब वह उनकी अराधना प्रारम्भ करेंगे। वर्ष 2018 के अंत में, ‘अंतर्राष्ट्रीय टी.बी.वी. मूल स्थान, छोटी परियोजना’ के सदस्यों ने दैनिक सेवा बनाये रखने हेतु महाराज को श्रील भक्तिविनोद ठाकुर के पैतृक विग्रह “श्री श्री राधा माधव जीउ” सौंप दिए। इसलिए, इस्कॉन पट्टामुंडई मंदिर, अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण-भावनामृत संघ (इस्कॉन) के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि गौड़ीय सम्प्रदाय के महान आचार्यों में से एक प्रमुख आचार्य, सप्तम गोस्वामी, श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, के विशेष पैतृक विग्रह, मुख्य मंदिर की वेदी को सुशोभित करते हैं और अपनी उत्कृष्ट सुंदरता एवं असीम दया से सबको आकर्षित करते हैं। ‘श्री श्री राधा माधव’ के रूप में विख्यात, यह भगवान का वही सुंदर विग्रह है, जिसके लिए श्रील भक्तिविनोद ठाकुर ने प्रसिद्ध गीत ‘जय राधा-माधव’ की रचना की थी। इसे प्रतिदिन गौड़ीय-वैष्णव सम्प्रदाय में गाया जाता है और यह श्रील प्रभुपाद को अत्यंत प्रिय था। वो जब भी इसे गाते थे, तो उनके नेत्र प्रेमाश्रुओं से गद्-गद् हो जाते थे। प्रत्येक वर्ष भक्तों का गहन प्रेम भगवान श्री श्री राधा को कार्तिक मास में श्री वृंदावन धाम तक ले जाता है, जहाँ समग्र विश्व से भक्त श्री श्री राधा श्यामसुंदर के आकर्षक रूप का दर्शन लेने के लिए श्री श्री कृष्ण बलराम मंदिर आते हैं।

वर्ष 2019 में, श्री श्री गौर निताई (श्री श्रीमद् गौर गोविंद स्वामी महाराज द्वारा व्यक्तिगत रूप से स्थापित संकीर्तन बस विग्रह) इस्कॉन भुवनेश्वर से इस्कॉन पट्टामुंडई में भक्तों से सेवा स्वीकार करने के लिए आए। इसलिए श्री श्री राधा माधव के साथ, श्री श्री गौर निताई और श्री श्री गिरिराज गोवर्धनजी भी इस्कॉन पट्टामुंडई मंदिर की सुंदर वेदी पर विराजमान हैं।

जैसे ही आगंतुक वहाँ के संकरे रास्ते से आगे बढ़ते हैं, कोमल हवा के झोके का आनंद उठाते हुए वे प्राकृतिक सुंदरता के प्रतिरूप, हरीयाली से ओत-प्रोत कृषि भूमि को पाते हैं। मंदिर के आंगन की सीढ़ियाँ को चढ़ते हुए उन्हें संपूर्ण सुंदरता के स्रोत भगवान के दिव्य स्वरूपों का दर्शन होता है। उत्साही भक्त भगवान के दिव्य नामों का कीर्तन और उस पर नृत्य करते हैं। यह सब वास्तव में नेत्रों के लिए एक उत्सव जैसा है। जैसे ही करताल और मृदंग की ध्वनि हृदय में प्रवेश करती है, युवा और बूढ़े, हर कोई अनायास ही अपनी बाहें उठा कर मंत्रोच्चार और नृत्य करने लगता है।

मुख्य मंदिर भवन के चारों ओर, मंदिर की पवित्रता को गोशाला में उपस्थित स्वस्थ भारतीय गायों की प्रसन्नता से अनुभव किया जा सकता है। मंदिर के पास ही पारंपरिक खेती होती है, वनस्पति उद्यान एवं एक तालाब है। आगंतुकों के लिए एक छोटा गेस्टहाउस भी है।

इस प्रकार, यह केंद्र धीरे-धीरे परम पूज्य हलधर गोस्वामी महाराज के निर्देशन में निरन्तर विस्तार कर रहा है। भक्तों की संख्या भी निरन्तर बढ़ रही है जो प्रेरणा के एक महान स्रोत हैं क्योंकि वे निरंतर दिन-ब-दिन अपने आधिपत्य की सेवा और प्रसन्नता में लगे रहते हैं। सरल शब्दों में कहा जाए तो, यहाँ का हर कण परम भगवान की प्रसन्नता के लिए, उनकी देखभाल करने और सेवा करने में निस्वार्थ होने का चित्रण तथा प्रेरणा देता है।

 
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