“नीलमणि श्रीकृष्ण के प्राकट्य का गुह्यतम रहस्य” श्रीमद्भागवतम् के दसवें स्कंध के प्रथम तीन अध्यायों में भगवान श्री कृष्ण के प्राकट्य का वर्णन दिया गया है। प्रातः काल ही हमने अपने परम आराध्य गुरु महाराज श्री श्रीमद् ए. सी. भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी महाराज द्वारा कि...
श्री राधिका स्तव श्री राधिका पाद पद्दमे विज्ञाप्ति (श्रील रूप गोस्वामी) (1) राधे! जय जय माधव दयिते। गोकुल-तरुणी मण्डल-महिते॥ “हे राधे! हे माधव की प्रिया! गोकुल की सब तरूणियों द्वारा वंदित देवी, आपकी जय हो!” (2) दामोदर-रतिवर्धन-वेशे। हरिनिष्कुट-वृन्दाविपिनेशे॥ ...
श्रीकृष्ण अपने दिव्य नाम के कीर्तन द्वारा श्री-गौंराग महाप्रभु के रूप में उस भगवद्-प्रेम का वितरण करते हैं, जो स्वयं उनके दिव्य-नाम में अवतीर्ण है। यह प्रेम कर्म-निष्ठा, तपस्या, ध्यान-योग, अष्टांग-योग, वैराग्य और कर्म-त्याग द्वारा भी अप्राप्य है। अपितु यह एक अत्यंत गुह्य-तत्त्व...
प्रेम नाम माला तबे प्रभु श्रीवासेर गृहे निरंतर। रात्रे सङ्कीर्तन कैल एक संवत्सर।। “श्री चैतन्य महाप्रभु पुरे एक वर्ष तक हर रात्रि को श्रीवास ठाकुर के घर पर हरे कृष्ण मंत्र का सामूहिक कीर्तन नियमित रूप से चलाते रहे।” (चैतन्य-चरित्रामृता, आदि-लीला 17.34) कपाट दिया कीर्तन करे ...
आज के पावन दिवस पर समस्त वैष्णवगण अन्नकूट महोत्सव का आयोजन करते हैं जिसमें वे हर्षोल्लास सहित गिरिराज गोवर्धन की आराधना करते हैं। गोवर्धन-पूजा हेतु सभी भक्तगण अनेक प्रकार के पकवान तथा भरपूर मात्रा में गिरि-गोवर्धन को अन्न का भोग अर्पित करते हैं। वृंदावन में सब भक्त इस अवसर पर हर्षोन्माद के...
हर साल माघ मास की सप्तमी तिथि को, हम अद्वैत आचार्य प्रभु का आविर्भाव दिवस मनाते हैं। सर्वप्रथम, अद्वैत आचार्य प्रभु स्वयं प्रकट हुए, और फिर उन्होंने महाप्रभु के रूप में श्रीकृष्ण को अवतरित किया। अद्वैत आचार्य के आह्वान से ही श्रीकृष्ण (महाप्रभु) प्रकट हुए। अतः आज का दिन अत्यंत शुभ है। आज ह...
एइ आज्ञा कइल यदि चैतन्य-मालाकार। परम आनंद पाइल वृक्ष-परिवार॥ [श्रीचैतन्य चरितामृत, आदि लीला ९.४७] अनुवाद वृक्ष के वंशज (श्री चैतन्य महाप्रभु के भक्त) महाप्रभु से यह प्रत्यक्ष आदेश पाकर अत्यंत प्रसन्न थे। तात्पर्य यह श्री चैतन्य महाप्रभु की इच्छा है कि ५०० वर्ष पूर्व न...
दशावतार स्त्रोत्र प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम् विहितवहित्र चरित्रमखेदम् । केशव! धृत-मीनशरीर! जय जगदीश हरे ॥१॥ “हे जगदीश्वर! हे केशव! प्रलय के प्रचण्ड समुद्र में डूब रहे वेदों का उद्धार करने हेतु आप भीमकाय मीन का रूप धारण करके दिव्य नौका की भूमिका निभाते हैं। हे मत्स्यावता...
मंगलाचरण श्री श्रीमद गौर गोविन्द स्वामी महाराज द्वारा संकलित। वे श्रीचैतन्य चरित्रामृत पर प्रवचन देने से पूर्व सदैव निम्नलिखित श्लोकों का उच्चारण करते थे। ऊँ अज्ञान तिमिरांधस्य ज्ञानांजनशलाकया । चक्षुर उन्मीलितं येन तस्मै श्रीगुरुवे नम: ॥ “मैं घोर अज्ञान के अंधकार में उत्...
दशावतार स्त्रोत्र (श्रील जयदेव गोस्वामी विरचित गीत गोविन्द से उद्धृत) प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदं, विहितवहित्रचरित्रमखेदम् । केशव धृतमीनशरीर, जय जगदीश हरे ॥१॥ हे केशव! हे ब्रह्मांड के स्वामी! हे भगवान हरि, जिन्होंने मछली का रूप धारण किया है! आपकी जय हो! वेदों को, जो प्रलय के अ...
आज के दिन श्रीमन महाप्रभु ने गुंडिचा मंदिर को स्वच्छ करने की लीला अर्थात "गुंडीचा मार्जन" संपन्न किया, और कल रथ-यात्रा है। जब महाप्रभु पुरी में निवास करते थे, तो वे रथ यात्रा से पहले गुंडीचा मंदिर का बाहर और भीतर से मार्जन करते थे। वे कैसे मार्जन करते थे? वे ऐसा क्यों करते थे? उनका ...
मंगलाचरण: नारायणं नमस्कृत्य नरं चैव नरोत्तमम् । देवीं सरस्वतीं व्यासं ततो जयमुदीरयेत् ॥ “विजय के साधनस्वरूप इस श्रीमद् भागवत का पाठ करने (सुनने) के पूर्व पूर्व मनुष्य को चाहिए कि वह श्री भगवान नारायण को, नरोत्तम नरनारायण ऋषि को, विद्या की देवी माता सरस्वती को तथा ग्रंथकार श्...
सपार्षद भगवद विरह जनित विलाप (श्रील नरोत्तम दास ठाकुर कृत प्रार्थना से) जे अनिलो प्रेमधन करुणा प्रचुर हेनो प्रभु कोथा गेला आचार्य ठाकुर॥1॥ "जो दिव्य प्रेम का धन लेकर आये थे, और जो दया के भंडार थे, ऐसे अद्वैत आचार्य कहाँ चले गये?" काहाँ मोर स्वरूप रूप काहाँ सनातन क...
कबे मुइ वैष्णव चिनिब हरि हरि (श्रील भक्तिविनोद ठाकुर कृत कल्याण कल्पतरु से) कबे मुइ वैष्णव चिनिब हरि हरि। वैष्णव चरण, कल्याणेर खनि, मातिब हृदय धरि’॥1॥ वैष्णव-ठाकुर, अप्राकृत सदा, निर्दोष आनन्दमय। कृष्णनामे प्रीति, जड़े उदासिन, जीवेते दयार्द्र ह...
श्री श्री षड्- गोस्वामी-अष्टक कृष्णोत्कीर्तन-गान-नर्तन-परौ प्रेमामृताम्भोनिधीधीराधीरजन-प्रियौ प्रियकरौ निर्मत्सरौ पूजितौश्रीचैतन्य-कृपाभरौ भुवि भुवो भारावहंतारकौवंदे रूप-सनातनौ रघुयुगौ श्रीजीव-गोपालकौ॥1॥ नानाशास्त्र-विचारणैक-निपुणौ सद्धर्म संस्थापकौलोकानां हितकारिणौ त्रिभ...
निताई गुण-मणि आमार “प्रभु नित्यानंद समस्त दिव्य गुणों की खान हैं।” (श्रील लोचन दास ठाकुर द्वारा विरचित श्री चैतन्य-मंगल से उद्धृत) (1) निताई गुण-मणि आमार निताई गुण-मणि आनिया प्रेमेर वन्या भासाइलो अवनी (2) प्रेमेर वन्या लइया निताई आइला गौड़-देशे डुबिलो भकत-गण दीन...
षड-गोस्वामी गण (रूप गोस्वामी, सनातन गोस्वामी, जीव गोस्वामी, गोपाल भट्ट गोस्वामी, रघुनाथ दास गोस्वामी और रघुनाथ भट्ट गोस्वामी) महाप्रभु के अतिशय प्रिय भक्त थे। वे सभी विभिन्न प्रान्तों से सर्वप्रथम पुरुषोत्तम-क्षेत्र, जगन्नाथ पुरी आए। तत्पश्चात, श्रीमन महाप्रभु के निर्देश पर वे सब वृंदावन च...
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