प्रिय पाठकगण सर्वप्रथम इस अवसर पर मैं अपने प्राणप्रिय गुरुदेव, ॐ विष्णुपाद परमहंस परिव्राजकाचार्य अष्टोत्तरशत १०८ श्री श्रीमद् गौर गोविन्द स्वामी महाराज के चरणों में सादर प्रणाम अर्पित करता हूँ। तदुपरान्त मैं सर्वोत्तम धर्मप्रचारक गुरु, सम्पूर्ण जगत के उद्धारकर्ता, श्रीकृष्णकृपामूर्ति ॐ वि...
प्रिय पाठकों, पिछले लेख में हमने एक शुद्ध भक्त की स्थिति पर चर्चा करने का प्रयास किया था। आज हम भौतिक संसार में उनकी उपस्थिति के महत्त्व तथा भगवान के अपने ही उद्देश्य में विफल होने पर चर्चा करेंगे। शुद्ध भक्त इस संसार में या तो श्रीकृष्ण की इच्छा से आते हैं या फिर अपनी स्वतंत्र इच्छा से अनंत दुः...
प्रिय पाठकगण, परम दयालु भगवान श्री कृष्ण व्यक्तिगत रूप से बद्ध-आत्माओं की विभिन्न उपायों द्वारा सहायता करना चाहते हैं। समस्त उपायों में से सर्वाधिक मंगलप्रद व उपयुक्त उपाय है – अपने नित्य-परिकर को इस भौतिक संसार में भेजना। शुद्ध-भक्तों का मुख्य उद्देश्य बद्ध-जीवों को सभी प्रकार के संभावित ...
प्रिय पाठकगण, अनेक योनियों तथा विभिन्न ब्रह्माडों में विचरण करने के उपरांत, जीव को भगवद्भक्तों का संग प्राप्त होता है, जिसके फलस्वरूप उस भ्रमणशील जीव का भौतिक जीवन समाप्त हो जाता है [श्रीमद्-भागवतम १०.५१.५३]। इसलिए हम निश्चित रूप से अपने को सौभाग्यशाली मान सकते हैं, क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं...
प्रिय पाठक, साधु का संग करने से पूर्व, यह आवश्यक है कि हम कुछ सिद्धांतों से अवगत हों एवं धर्मानुकूल आचरण का अनुशीलन करके स्वयं को उन सर्वश्रेष्ठ साधु-पुरुषों की संगति के लिए योग्य बनाऍं। ऐसा करने से हम अत्यंत सहजता से गुरु तथा गौरांग की कृपा के पात्र बन सकते हैं। वैष्णव समाज के इन सिद्धांतों तथा मर...
प्रिय पाठकगण, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से हम वैष्णव आचरण पर, अपने पिछले लेख से आगे चर्चा करेंगे: ७) भगवान का भक्त सभी जीवों का सम्मान करता है। श्रील भक्तिविनोद ठाकुर, जो सप्तम गोस्वामी भी कहलाते हैं, अपने भजन में वर्णन करते हैं, “मुझे सभी ब्राह्मण एवं वैष्णव की कृपा की ...
हरे कृष्ण प्रिय पाठकों,श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से इस लेख में हम कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण वैष्णव सिद्धांतों तथा वैष्णव सदाचार पर चर्चा करने का प्रयास करेंगे, जिनकी सहायता से हम अपने आध्यात्मिक कर्तव्यों का यथावत पालन कर सकते हैं। १०) जब भी गुरुदेव हमें कोई सेवा करने का आदेश देते हैं और...
प्रिय पाठकगण, श्रीगुरु एवं श्रीगौरांग की महती कृपा से, हम पूर्ववर्ती आचार्यों के पदचिह्नों का अनुसरण करते हुए एक अत्यंत गुरुत्वपूर्ण विषय पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे, जो वस्तुतः हमारे जीवन के परम लक्ष्य पर आधारित है। कृष्ण-भक्ति के सम्पर्क में आने का सौभाग्य हमें केवल और केवल भक्...
प्रिय पाठकगण, श्री गुरु एवं श्री गौरांग की महती कृपा से हम अपने शुद्धीकरण हेतु विभिन्न विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। इस लेख में हम जानने का प्रयास करेंगे कि साधु-गुरु के प्रति हमारा वास्तविक भाव क्या होना चाहिए। गुरुदेव के प्रति शंकालु मनोवृत्ति होना तथा उन्हें मर्त्य-जगत का स्वरूप समझना हमा...
प्रिय पाठकगण, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से हम प्रत्येक एकादशी पर स्वयं के शुद्धिकरण हेतु तथा अपने हृदय में गुरु और कृष्ण की सेवा के प्रति इच्छा जागृत करने के लिए विभिन्न विषयों पर चर्चा करते हैं। सर्व-शक्तिमान श्रीकृष्ण को भूल जाने के कारण हम, तटस्था शक्ति की जीवात्माएँ...
प्रिय पाठकगण, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से हम महाजनों द्वारा प्रदर्शित पथ का स्मरण कर रहे हैं। शारीरिक चेतना से ग्रस्त होने के कारण संपूर्ण ब्रह्माण्ड विमोहित है। श्रीब्रह्मा से लेकर क्षुद्र चींटियाँ तक, सभी जीव शारीरिक सुख-सुविधाओं की खोज में लगे हुए हैं। श्री प्रह्लाद महारा...
प्रिय पाठकों, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की कृपा से हम अपने शुद्धिकरण हेतु विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। भक्ति पथ पर हम किसी भी परिस्थिति में श्रवण-कीर्तन का त्याग नहीं कर सकते क्योंकि यही हमारा जीवन है। इस लेख में हम अपने दैनिक आध्यात्मिक जीवन संबंधी विषयों पर चर्चा करने ...
प्रिय पाठकगण, श्रीगुरु एवं श्रीगौरांग की महती कृपा से हम परम्परा-आचार्यों की विलक्षण शिक्षाओं का स्मरण कर रहे हैं। आज हम परम उदार अवतार, श्रीगौरसुंदर तथा पतितात्माओं के प्रति उनकी अद्वितीय कृपा-करुणा पर ध्यान केंद्रित करेंगे। श्रीमान् महाप्रभु परमेश्वर के अवतार स्वरूप नहीं, अपितु श्रीकृष्ण ...
श्रीगुरु एवं श्रीगौरांग की महती कृपा से हम अपने शुद्धिकरण हेतु विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। इस लेख में हम विशेषतया अपना ध्यान आध्यात्मिक जीवन की उन चुनौतियों पर केंद्रित करेंगे जो अजेय प्रतीत होती हैं। श्रीगुरु नित्य रूप से पूर्ववर्ती आचार्यों एवं अपने आराध्य-देव की प्रे...
प्रिय पाठकगण श्रीगुरु एवं श्रीगौरांग की महती कृपा से हम अपने शुद्धीकरण हेतु विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा कर रहें हैं। इस लेख में हम भक्ति विधि के मर्म, अर्थात् चैत्य गुरु तथा महांत गुरु से कृपा प्राप्त करने की उचित विधी पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। अत्यंत उदार पूर्ण पुरुषोत्त...
प्रिय पाठकगण, श्रीगुरु एवं श्रीगौरांग की महती कृपा से हम भजन-सम्बंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। विशेषतया इस लेख में हम आध्यात्मिक जीवन में आने वाली विविध बाधाओं पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। अनेकों ब्रह्माण्डों में विचरण करने के उपरांत, केवल कुछ भाग्यशाली जीवों को ही श्रीगुरु ...
प्रिय पाठकगण, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से हम आचार्यों की शिक्षाओं पर चर्चा तथा उनका स्मरण करने का प्रयास कर रहे हैं। आज हमारी चर्चा का विषय सेव्य (जिनकी सेवा की जाती है, अर्थात् स्वामी), सेवक (जो सेवा करता है) तथा सेवा के मध्य संबंध पर रहेगा। हमें सेवा के वास्तविक अ...
प्रिय पाठकों, श्री गुरु एवं श्री गौरांग की कृपा से हम हर एकादशी कुछ महत्त्वपूर्ण शिक्षाओं का स्मरण तथा उन पर चिंतन करने का प्रयास करते हैं। आज के लेख में हम आध्यात्मिक इच्छाओं के विषय पर चर्चा करेंगे। यद्यपि हम साधना एवं भक्ति-क्षेत्र में प्रगति कर रहे हैं, तथापि यदि हम ध्यानपूर्वक आत्मनि...
प्रिय पाठकगण, श्री श्री गुरु एवं गौरांग की महती कृपा से हम पूर्ववर्ती आचार्यों की शिक्षाओं के आधार पर वैष्णव दर्शन के विभिन्न विषयों पर चर्चा कर रहे हैं। आज हम आध्यात्मिक जीवन के अत्यंत महत्त्वपूर्ण विषय पर चर्चा करेंगे। श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती ठाकुर महाशय ने 'सरलता' पर अत्यधिक बल दिया ...
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